गुरुवार, फ़रवरी 07, 2013

21 फरवरी से संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत

07-फरवरी-2013 12:37 IST
पंद्रहवीं लोकसभा के तेरहवें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत और अवधि 
                                                                                                                         Courtesy Photo
संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है। 

पंद्रहवीं लोक सभा के 13वें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और सरकारी कामकाज की अनिवार्यताओं के अध्याधीन 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है। 

राष्ट्रपति 21 फरवरी 2013, गुरुवार को संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रुप से नई दिल्ली स्थित संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में सुबह 11 बजे संबोधित करेंगे। 

मंत्रालयों/विभागों के अनुदान की मांगों पर स्थायी समिति द्वारा विचार और रिपोर्ट तैयार करने के लिए 22 मार्च 2013 को दोनों सदनों को अवकाश के लिए स्थगित किया जाएगा और 22 अप्रैल 2013 को सदन का सत्र पुनः आरंभ होगा। (PIB)

वि.कासोटिया/सुधीर पी. /विजयलक्ष्मी – 469

संसद के बजट सत्र 

संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत

संसद:बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी से 

21 फरवरी से संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत

भारतीय चित्रकार पर धार्मिक भावनाओं को ठेस का आरोप

6.02.2013, 21:24
यदि ये चित्र प्रदर्शनी में लगे रहते तो समस्या पैदा हो सकती
                                                                       Collage: the Voice of Russia
बंगलुरु पुलिस की मांग पर चित्रकला परिषद में हो रही प्रदर्शनी में से 5 फरवरी 2013 को 22 वर्षीय चित्रकार अनिरुद्ध साईनाथ कृष्णामणि की तीन तस्वीरें हटा दी गईं| इनमें एक में विष्णु मोहिनी अवतार के रूप में चित्रित हैं, एक काली देवी का चित्र है और एक शिव-पार्वती का रोमांसी मुद्रा में चित्र है| क्रुद्ध भीड़ ने चित्रकार पर देवी-देवताओं का अपमान करने का आरोप लगाया है| पुलिस का कहना है कि यदि ये चित्र प्रदर्शनी में लगे रहते तो इससे कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में समस्या पैदा हो सकती थी| गैलरी के प्रबंधकों का भी कहना है कि उन्हें क्रुद्ध लोगों के फोन आए, जिन्होंने कहा कि इन चित्रों से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है| अतः गैलरी ने चित्रकार से यह मांग करना ही उचित समझा कि वह चित्र हटा ले| (रेडियो रूस से साभार  )

‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस एंड जर्मनी’

06-फरवरी-2013 18:11 IST
पुस्‍तक की पहली प्रति राष्‍ट्रपति को भेंट की
‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस एंड जर्मनी’ नामक पुस्तक की पहली प्रति आज यहां राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. अनिता बी. पाफ की ओर से राष्ट्र्पति श्री प्रणब मुखर्जी को भेंट की गई। इस पुस्‍तक को फेडरेशन ऑफ इंडो-जर्मन सोयाटिज इन इंडिया की ओर से तैयार किया गया है। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि इस पुस्‍तक को देखकर वे काफी प्रसन्‍न हुए, क्‍योंकि यह प्रो. अनिता बी. पाफ द्वारा खुद तथा अन्‍य जानेमाने लेखकों और जीवनी लेखकों द्वारा एक असाधारण संग्रह है। 
श्री मुखर्जी ने कहा कि इस पुस्‍तक में नेताजी के जीवन के अनोखे पहलुओं को चित्रित करने के साथ ही और भारत के स्‍वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनके असाधारण योगदान का भी उल्‍लेख किया गया है। उन्‍होंने कहा कि इस पुस्‍तक के माध्‍यम से हम एक बार फिर अपनी मातृभूमि की स्‍वतंत्रता के लिए नेताजी के प्रयासों और उनके समर्पण द्वारा प्रेरित महसूस करते हैं। 
राष्‍ट्रपति महोदय ने 1995 में ऑग्‍सबर्ग में प्रो. अनिता बी. पाफ के निवास पर अपने दौरे को याद किया और कहा कि वहां उन्‍हें नेताजी के परिवार की तीन पीढि़यों के साथ मुलाकात करने का सुअवसर मिला। उन्‍होंने वहां नेताजी के बारे में दिलचस्‍प और स्‍मरणीय बातचीत की थी। 
राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि यह पुस्‍तक नेताजी के प्रति एक श्रद्धांजलि है, जो राष्‍ट्रीय आंदोलन के महानतम नेताओं में एक थे और जिन्‍होंने भारत की स्‍वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्‍यौछावर कर दिया। उन्‍होंने कहा कि भारत के स्‍वतंत्रता आंदोलन में नेताजी ने अविस्‍मरणीय भूमिका निभाई थी। उन्‍होंने कहा कि नेताजी सभी भारतीयों को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे। (PIB)
वि.कासोटिया/सुधीर/तारा – 463

बुधवार, फ़रवरी 06, 2013

केंद्रीय विद्यालय संगठन का स्वर्ण जयंती समारोह


   प्रधानमंत्री का अभिभाषण                                                                                         06-फरवरी-2013 16:36 IST          
प्रधानमन्त्री डा मनमोहन सिंह ने किया उद्धघाटन सत्र  को सम्बोधित 

प्रधानमन्त्री ने इस मौके पर केन्द्रीय शिक्षा संगठन के नए लोगो का भी अनावरण किया  (फोटो:पीआईबी)

इस शुभ अवसर पर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा एम एम पलामू राजू ने प्रधानमन्त्री को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया। इस यादगारी मौके पर इसी मन्त्रालय के राज्य मंत्री जीतीं प्रसाद और डा  थरूर भी मौजूद थे। (फोटो:पीआईबी)
डा. मनमोहन सिंह ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन सत्र में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए संगठन के शिक्षकों और छात्रों को शुभकामनाएं और बधाई दीं। 

केंद्रीय विद्यालय संगठन की 1963 में अपनी स्थापना के समय 20 रेजीमेंटल विद्यालयों के साथ व्याख्यात इस समय यह देश भर में फैले लगभग 1100 केंद्रीय विद्यालयों का प्रशासन संभालता है। यह लगभग 11 लाख बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है और इसके शिक्षकों सहित 46,000 से अधिक कर्मचारी हैं। यह संगठन केंद्र सरकार के स्थानांतरणीय केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अपने दायित्व को विशिष्टता से साथ निभा रहा है। 50 वर्ष की इसकी यात्रा वास्तव में अत्याधिक सफल रही है। मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने केंद्रीय विद्यालय संगठन को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओं में इतना अधिक योगदान करने में सक्षम बनाया है। 

केंद्रीय विद्यालय संगठन में जुड़े सभी लोगों के यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि देश के विभिन्न भागों में अतिरिक्त केंद्रीय विद्यालयों को खोलने की जोरदार मांग है और मौजूदा विद्यालयों में दाखिला की प्रक्रिया में भी अत्यधिक प्रतिस्पर्धा है। यह केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा स्थापित शिक्षा के उच्च मानक का भी संकेत है। मैं समझता हूं कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं में केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने लगातार बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। यही नहीं, इन विद्यालयों ने अपने छात्रों की पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेने पर जोर देकर उनके व्यक्तित्व विकास की आवश्यकता के प्रति की सजगता दिखाई है। 

मुझे इस बात की खास खुशी है कि केंद्रीय विद्यालयों में छात्राओं का अनुपात 43 प्रतिशत है और संगठन के शिक्षकों में महिलाओं का बहुमत है। 

केंद्रीय विद्यालयों की एक बड़ी संख्या इस समय रक्षा और अर्ध-सैनिक संस्थानों के परिसरों में स्थित है। इससे रक्षा और अर्ध-सैनिक बलों के कर्मचारियों, जिनकी जोखिम भरी ड्यूटियां उन्हें अपने परिवारों के साथ अक्सर कम समय बिकाने का मौका देती हैं, केन्द्रीय विद्यालय बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता प्राप्त करते है। 

हमारी सरकार ने सदा इस बात को स्वीकारा है कि भारत एक आधुनिक, प्रगतिशील और समृद्ध देश के रूप में तभी उभर सकता है जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक हमारे नागरिकों की आसान पहुंच होगी। हम जानते हैं कि हमारा देश एक युवा देश है और एक शिक्षित एवं कुशल कार्यबल के होने पर ही हम जनांकिक लाभांश प्राप्त कर सकते हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था को विस्तार करने और अधिक उत्पादक बनने में सहायक होगी। 

हमारी सरकार के 2004 में सत्ता में आने के समय से ही हमने शिक्षा पर विशेष जोर दिया है। हमने शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण स्तर पर निवेश बढ़ाया है। हमने शिक्षा के प्रति पहुंच का तेजी से विस्तार किया है। हमने शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भी काम किया है ताकि शिक्षा के बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सके। हमने यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया है कि हमारे समाज के कमजोर वर्गों और देश के कम विकसित क्षेत्रों के छात्रों को भी शिक्षा संबंधी पर्याप्त अवसर प्राप्त हों। 

आज हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा की पहुंच लगभग सार्वभौमिक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम सुनिश्चित करता है कि हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक शिक्षा के 8 वर्ष का अधिकार प्राप्त हो। मध्याह्न भोजन की योजना, जो हर रोज 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में गर्म भोजन उपलब्ध कराती है, ने बच्चों के स्कूलों में बने रहने में उल्लेखनीय सहायता की है। लेकिन शिक्षकों और शिक्षण का मानक उचित स्तर का नहीं है जिसके कारण परिणाम हमारी अपेक्षा से बहुत नीचे है। स्कूलों में प्राथमिक स्तर के बाद बच्चों का बीच में पढ़ाई छोड़ जाने वालों की संख्या अधिक बनी हुई है। निष्पक्षता से संबंधी कुछ बड़ी समस्याएं भी हल करना अभी शेष है। 

12वीं पंचवर्षीय योजना में इन चुनौतियों का समाधान करने में केन्द्रीय विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए मानक और बेंचमार्क तय करने में बड़े पैमाने पर सहायक हो सकते हैं। यह केन्द्रीय विद्यालों के लिए 12वीं योजना में निर्धारित लक्ष्यों में से एक है। उन्हें अपने पड़ोस के विद्यालयों के साथ सर्वोत्तम युक्तियों को बांटने में रोल-मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन से आग्रह किया कि वह इन अपेक्षाओं को कारगर रूप में पूरा करने के उपायों का पता लगाए। 

मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने हमारे आसपास तेजी से बदलती हुई यर्थात स्थिति के साथ गति बनाये रखने के लिए कई नये कदम उठाये हैं इन में शिक्षा प्रदान करने, शिक्षकों और छात्रों के लिए विदेशों के साथ आदान-प्रदान कार्यक्रम चलाने और विदेशी भाषाओं के शिक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग शामिल हैं। यह सभी सराहनीय कदम हैं जिनसे केन्द्रीय विद्यालयों को अपना स्तर सुधारने में सहायता मिलेगी। लेकिन केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करने में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। मैं आशा करता हूं कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन, खासकर आधुनिक तकनीकों और प्रौद्योगिकी के प्रयोग में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन करेगा। 

अंत में मैं केन्द्रीय विद्यालय संगठन परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप अपने विशिष्ट रिकार्ड को इस स्वर्ण जंयती समारोह के माध्यम से और बेहतर बनाने पर विचार करेंगे। (PIB)
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वि.कासोटिया/क्वात्रा/अर्जुन/मीना–455

सोमवार, फ़रवरी 04, 2013

‘एयरो इंडिया -2013’ में रूसी शस्त्रास्त्र

4.02.2013, 09:07
बंगलुरु में 6 से 11 फरवरी तक अंतर्राष्ट्रीय एयरो-स्पेस प्रदर्शनी
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                                                                   © Collage: «the Voice of Russia»
रूस और भारत की मित्रता का सम्बन्ध का सम्बन्ध काफी पुराना है। जब जब भी भारत पर मुश्किलें आईं तब तब रूस ने अपनी दोस्ती निभाई। इन पुराने सम्बन्धों की एक झलक इस बार बंगलूरु में भी नजर आयेगी जहां एक विशेष प्रदर्शनी लगने वाली है। आज के नए अंतर्राष्ट्रीय हालात में इस प्रदर्शनी से जहाँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश जायेगा वहीँ भारत की शक्ति और ज़िम्मेदारी की छवि भी मजबूत होगी। रेडिओ रूस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि 

बंगलुरु में 6 से 11 फरवरी तक होने जा रही अंतर्राष्ट्रीय एयरो-स्पेस प्रदर्शनी ‘एयरो इंडिया -2013’ में रूस अपने अनेक नवीनतम शस्त्रास्त्र दिखाएगा| रूसी निगम ‘अलमाज़-अनतेई’ यहां पहली बार मॉडल और पोस्टरों में अपना धरती से आकाश में वार करने वाला नवीनतम रॉकेट समुच्चय ‘तोर-एम2केएम’ दिखाएगा| यह लघु दूरी पर प्रहार करने वाला समुच्चय है, जिसके तकनीकी और शस्त्र साधन मोडुलर हैं, निगम की प्रेस-सेवा ने बताया है|

“इस समुच्चय के अलावा निगम अपने सैनिक उपयोग के बीस से अधिक उत्पाद दिखाएगा, जिनमें बड़ी दूरी के मिसाइल कॉम्प्लेक्स ‘एस-300वीएम’, मध्यम दूरी के ‘बुक-एएम2ए’ तथा लघु दूरी के ‘तोर-एम2ए’ भी होंगे| इनके अलावा मिसाइलों की स्वचालित प्रबंधन प्रणालियाँ, रेडियोलोकेशन स्टेशन, तथा मिसाइल समुच्चयों में खराबियों का निदान करने और मरम्मत करने के उपकरण भी होंगे,” प्रेस सेवा की विज्ञप्ति में कहा गया है| (रेडिओ रूस से साभार)
© Collage: «the Voice of Russia»


एयरो इंडिया -2013’ में रूसी शस्त्रास्त्र

रविवार, फ़रवरी 03, 2013

भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्‍यान केंद्रित किया

01-फरवरी-2013 15:23 IST
दो फ्रिगेट 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत        रक्षा पर विशेष लेख  
आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान *हामिद हुसैन
    भारतीय तटरक्षक 01 फरवरी, 2013 को अपनी 36वीं वर्षगांठ मना रहा है। अपनी स्‍थापना के बाद से यह सेवा एक बहुआयामी और एक उत्‍साहपूर्ण बल के रूप में यह उभरी है जो बहु-भूमिका वाले पोतों और विमानों की तैनाती कर हर समय भारत के समुद्री क्षेत्रों की चौकसी करता है।
    भारतीय नौ-सेना के दो फ्रिगेट और सीमा शुल्‍क विभाग के 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत कर आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान हैं। गत वर्ष के दौरान एक प्रदूषण नियंत्रण पोत, 6 गश्ती पोत, 4 वायु कुशन पोत, 2 इंटरसेप्‍टर नौकाएं शामिल की गई हैं। इसके अतिरिक्‍त क्षेत्रीय मुख्‍यालय (एनई) की स्‍थापना तथा 8 सीजी स्‍टेशन का सक्रियण, सक्रियण/3 सीजी स्‍टेशनों की शुरूआत की योजना 2013 के प्रारंभ में की गई है।
    भारतीय तटरक्षक आज तीव्र विस्‍तार की राह पर है। इसमें आधुनिक स्‍तर के पोत, नौकाएं और विमान का निर्माण विभिन्‍न शिपयार्ड/ सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम में किया जा रहा है और भविष्‍य में तटरक्षक अकादमी की स्‍थापना की जाएगी। तटरक्षक के संगठनात्‍मक ढाँचे में 5 क्षेत्रीय मुख्‍यालय, 12 जिला मुख्‍यालय, 42 स्‍टेशन तथा सभी भारतीय तटों पर 15 एयर यूनिट कार्य कर रहे हैं।
    श्रम शक्ति की दृष्टि से इस सेवा ने सामान्‍य ड्यूटी में महिला अधिकारियों के लिए अल्‍प सेवा नियुक्ति की शुरूआत, मेधावी अधीनस्थ अधिकारियों को विभागीय पदोन्‍नति और विशेष नियुक्ति अभियान चलाकर अपने श्रम शक्ति में विस्‍तार किया है।
    बृहत विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और तट रक्षा पर सतत निगरानी के लिए औसतन 20 पोत और 8-10 विमान तैनात किए गए है। भारतीय तटरक्षक ने तटीय निगरानी नेटवर्क (सीएसएन) की भी स्‍थापना की है जिसमें तटीय निगरानी रडार नेटवर्क और 46 सुदूर स्‍थलों पर इलेक्‍ट्रो ऑप्‍टीक सेंसर शामिल है। इन सेंसरों में 36 मुख्‍य क्षेत्र में, 6 लक्ष्‍यद्वीप समूह और 4 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में लगाएं गए हैं।
    भारतीय तटरक्षक द्वारा तट के आस-पास के गाँवों में नियमित समुदाय संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य मछली पकड़ने वाले समुदायों को मौजूदा सुरक्षा स्थितियों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उन्‍हें सतर्क रखना है। इसके अतिरिक्‍त गत वर्षों के दौरान भारतीय तट रक्षक ने 20 तटीय सुरक्षा अभ्‍यास और 21 तटीय सुरक्षा अभियान चलाया है।
    भारतीय तटरक्षक द्वारा हर समय भारतीय खोज और बचाव क्षेत्रों में समुद्री जांच और बचाव किया जाता है। इस कठिन परिस्थिति में साहस दिखाते हुए पिछले वर्ष तटरक्षरक ने 204 लोगों की जान बचाई है। इस अवधि के दौरान भारतीय तटरक्षक द्वारा कुल 30 चिकित्‍सा बचाव किए गए।
    भारतीय तटरक्षक ने अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी अपनी पहचान स्‍थापित की है। सहयोग समझौता/ ज्ञापन के तहत संस्‍थागत यात्राएं नियमित की जाती हैं। 12वीं भारत-जापान तटरक्षक उच्‍च स्‍तरीय बैठक जापान के टोक्‍यो में जनवरी, 2013 में की गई। अक्‍तूबर, 2012 में नई दिल्‍ली में 8वां एशियाई तटरक्षक प्रमुखों का सम्‍मेलन आयोजित किया गया। यह सम्‍मेलन काफी महत्‍वपूर्ण था क्‍योंकि इसे पहली बार भारत में आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्‍त, भारत-पाकिस्‍तान संयुक्‍त कार्य समूह बैठक का आयोजन पहली बार नई दिल्‍ली में जुलाई, 2012 में किया गया।
    भारतीय तटरक्षक लगातार अपना विस्‍तार कर रहा है और जिससे इसकी क्षमता में और विकास हो रहा है। सक्षम और पेशेवर अधिकारियों द्वारा आधुनिक पोतों और विमानों का संचालन किया जा रहा है जो देश सेवा और समुद्री सुरक्षा में कार्य कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते है। वर्ष 2013 के लिए भारतीय तटरक्षक का शीर्षक है 'समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित लक्ष्‍य'। यह शीर्षक इस सेवा की प्रतिबद्धता और संकल्‍प को प्रदर्शित करता है जो इसके आदर्श वाक्‍य 'वयम् रक्षाम:' में प्रतिबिम्‍बित है जिसका अर्थ है 'हम रक्षा करते है'। (PIB) (पसूका) 
*एपीआरओ (रक्षा) भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्‍यान केंद्रित किया 
मीणा/आनंद/लक्ष्‍मी - 33
पूरी सूची - 01.02.2013

सफलता की कहानी-सुनते है उन्हीं की जुबानी....!


31-जनवरी-2013 12:44 IST
बागवानी फसल बनी वरदान// -मनोहर कुमार जोशी*
राजस्थान के प्रयोगधर्मी और प्रगतिशील किसान लियाकत अली पर विशेष लेख
राजस्थान में सवाईमाधोपुर जिले की करमोदा तहसील के दोंदरी गांव के प्रयोगधर्मी और प्रगतिशील किसान लियाकत अली अपनी हर सफलता का श्रेय उद्यानिकी को देते हैं । अपनी पांच हैक्टेयर कृषि भूमि में से तीन हैक्टेयर पर उन्होंने अमरूदों का बाग लगा रखा है। उनके बगीचे में इस वर्ष अमरूदों की बम्पर पैदावार हुई है। छोटे-बड़े सभी पेड़ फलों से लदे हुये हैं। कई पेड़ों की डालें तो फलों के वजन से जमीन पर गिरी हुयी हैं। लेखक को फलदार बाग दिखाते हुये उन्होंने बतायी अपनी सफलता की कहानी-सुनते है उन्हीं की जुबानी.......

           हमारा पुश्तैनी पेशा खेतीबाड़ी है । मेरे पिता समीर हाजी परम्परागत खेती किया करते थे। पिता के इंतकाल के बाद मैं भी गेहूं, जौ, चना सरसों आदि की फसलें लेने लगा, लेकिन उससे कुछ खास हासिल नहीं हुआ । कभी ज्यादा सर्दी की वजह से फसलों को नुकसान होता, तो कभी पानी की कमी के कारण पर्याप्त सिंचाई के अभाव में अच्छी पैदावार नहीं होती। इससे भविष्य की जिम्मेदारियां अधर झूल में दिखाई देने लगी।
           ऐसी स्थिति में एक दिन मैं यहां के कृषि एवं उद्यान विभाग तथा स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों से मिला। उन्होंने मुझे अमरूद का बगीचा लगाने की सलाह दी। मेरे लिये इनसे मिलना बहुत ही लाभप्रद रहा। उनके सहयोग एवं सलाह पर मैंने अमरूदों की खेती शुरू कर दी । नर्सरी से एक रूपये प्रति पेड़ के हिसाब से 300 पेड़ खरीद कर एक हैक्टेयर जमीन पर लगाये । बड़े होने पर इन पेड़ों पर अमरूद लगने शुरू हो गये, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । इससे हुयी आय ने उद्यानिकी फसल के प्रति मेरा उत्साह बढ़ाया और मैंने अपने बगीचे को एक हैक्टेयर से बढ़ाकर तीन हैक्टेयर में कर दिया । छह सौ पेड़ और लगाये । दूसरी बार लगाये पेड़ों के पौधे लखनऊ से लाया ।  यह पौधे इलाहाबादी, मलिहाबादी, बर्फ गोला एवं फरूखाबादी किस्म के थे तथा एल-49 से स्वाद में बढि़या व पेड़ से तुड़ाई के बाद ज्यादा समय तक तरोताजा रहने वाले थे।  नये पौधों से दो साल बाद फसल की पैदावार में वृद्धि हुयी। इससे ढाई लाख रूपये की आय हुई ।

           इस बार मैंने पैदावार बेचने का ठेका कोटा के एक फल व्यापारी को दिया है, लेकिन बम्पर पैदावार होने के बाद लगा कि यदि ठेकेदार के बजाय मैं खुद इसे बेचता तो कहीं ज्यादा लाभ में रहता। इस मर्तबा इस कदर पेड़ों पर फल लदे हैं कि फलदार पेड़ों की डालें झुक कर जमीन पर आ गयी है।

    फलों की तुड़ाई नवम्बर से चल रही है। यह सिलसिला मार्च तक चलेगा । अमरूदों की खेती मुझे एवं मेरे बेटों को रास आ गई है । एक हजार पौधे अपने बाग में और लगाये हैं। एक दो साल बाद इनसे भी आय शुरू हो जायेगी। वे बताते हैं ....महंगाई की मार उद्यानिकी फसल पर भी पड़ी है। शुरू में मुझे प्रति पौधा एक रूपये में मिला था, जबकि इसके बाद यही पौधा एक से बढ़कर चार रूपये का अर्थात चार गुना महंगा मिला। पिछले वर्ष लखनऊ से लाये गये पौधों की कीमत यहां पहुंचने तक लगभग 25 रूपये प्रति पौधा पड़ गई, लेकिन मुझे लगता है इस पौधों की किस्म अच्छी होने के कारण इसका लाभ मिलेगा।

           यहां की जलवायु हवा, पानी एवं मिट्टी अमरूद के पेड़ों को भी रास आ गई है तथा जो किसान बगीचे की अच्छी तरह सार-संभाल करता है, उसके लिये बगीचा सोना उगलता है । मैंने नये पौधों की रोपाई से पहले बकरी की मींगनी की खाद से बगीचे को भली-भांति संधारित किया था। समय-समय पर पेड़ों की देखभाल करता रहता हूं । पशुओं से पेड़ों एवं फसल की रक्षा के लिये बगीचे के चारों तरफ लोहे के मोटे तार वाली जाली की बाड़ लगा रखी है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में नील गायें हैं, जिस खेत में रात को वे घुस जाती हैं, उसकी फसल चोपट कर देती हैं।

           खेत एवं बगीचे में सिंचाई के लिये खेत पर कुआं एवं फार्म पौण्ड हैं, जिससे सिंचाई की कोई समस्या नहीं है। बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई अपना रखी है, जो जरूरत के अनुसार हो जाती है। दूसरे किसान भाईयों को भी उनकी मांग पर फसल की सिंचाई के लिये पानी मुहैया करवाता हूं। मै किसान भाइयों को हमेशा कहता हूं कि आज हम लोग कोई एक प्रकार की खेती कर खुशहाल और समृद्ध नहीं बन सकते हैं । इसके लिये खेती किसानी के साथ-साथ कृषि के सहायक कार्य जैसे मुर्गीपालन, मछली पालन, पशुपालन, जो एक दूसरे पर निर्भर हैं, इन्हें अपना कर अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं।

           मैंने अपने खेत पर एक सौ फुट लम्बा, 70 फुट चैड़ा और 12 फुट गहरा फार्म पौण्ड बना रखा है। इसके निर्माण के लिये सरकार से अनुदान भी मिला था। सिंचाई के साथ-साथ पौण्ड में मत्स्य बीज डाल कर मछलीपालन कर लेता हूं। इसके लिये कोलकाता से शुरू में दस हजार मत्स्य बीज लाया था । एक किलो की मछली 80 से 100 रूपये में बिक जाती है । मैंने मत्स्य प्रशिक्षण विद्यालय उदयपुर से 2004 में ट्रेनिंग ली थी, जो मेरे काम आई । फार्म पौण्ड के किनारे प्रकाश पाश्‍र्व लगा रखा है, इससे फायदा यह है कि खेत में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगे रात को पानी मे गिर जाते हैं। इससे दोहरा लाभ होता है, फसल भी खराब नहीं होती और मछलियों का भोजन भी हो जाता है।

           अतिरिक्त आय के लिये खेत पर पांच-सात भैंसे बांध रखी हैं । एक भैंस हाल ही 46 हजार रूपये में बेची है। भैंसों से दूध, दही, घी मिल जाता है । उनका गोबर बायोगैस संयंत्र में काम आ जाता है । यह संयंत्र वर्ष 2007-08 में बनाया था। अपने खेत पर मुर्गीपालन भी करता हूं। ये पक्षी खेत में दीमक तथा हानिकारक कीड़ों को खाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं । उनकी विष्टा खाद के रूप में काम आती है । कृषि के जानकार लोगों के मुताबिक इनकी बींट की खाद से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है । देसी मुर्गा पांच सौ से सात सौ रूपये में बिक जाता है। लियाकत अली के पुत्र इंसाफ कहते हैं । हमारे खेत पर मुर्गे-मुर्गियों और इनके चूजों की संख्या काफी हो गयी थी, लेकिन हाल ही में थोड़ी सी लापरवाही के चलते ये पक्षी वन्य जीवों के शिकार हो गये। अब कुछ मुर्गे-मुर्गीयां ही बची हैं। इनकी सुरक्षा के लिये जल्दी ही फार्म पौण्ड पर लोहे का जाल डालकर एक बड़ा पिंजड़ा बना रहे हैं।

           लियाकत भाई अपनी सफलता की सारी कहानी बयां करते हुये कहते हैं कि मुझे मान- सम्मान, धन-दौलत अमरूदों की उद्यानिकी फसल से ही मिला है। मेरे यहां कोई आये और बिना अमरूद खाये कैसे चला जाये । इसके लिये मैंने 20-25 अमरूदों के पेड़ अलग से छोड़ रखे हैं, ताकि अमरूदों का स्वाद आने वाला अतिथि चख सके। वे कहते हैं मुझे अनेक इनाम मिले हैं, लेकिन सबसे बड़ा सम्मान जयपुर में कृषक सम्मान समारोह में मिला । इससे मेरा और उत्साहवर्धन हुआ है ।(पसूका) (PIB) बागवानी फसल बनी वरदान// -मनोहर कुमार जोशी*
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*लेखक स्‍वतंत्र पत्रकार हैं

मीणा/बि‍ष्‍ट/शदीद -32पूरी सूची 31.01.2013