शनिवार, नवंबर 24, 2012

ग्रामीण पर्यटन

पंजाब में कृषि पर्यटन लोकप्रिय हो चुका है
विशेष लेख:पर्यटन                                                          सरिता बरारा*
                                                                                                                Courtesy Photo
   पिछले साल जब पुणे के विवेक शिरोड ने अपने बच्‍चों से कहा कि वे उन्‍हें घुमाने ले जा रहा है तो उनके बच्‍चे काफी खुश हुए। उन्‍होंने अनुमान लगाना शुरू किया कि 'क्‍या उनके पिता उन्‍हें मुम्‍बई ले कर जाएंगे या गोवा?' लेकिन विवेक ने इस बार कुछ और ही सोच कर रखा था। उसने ग्रामीण पर्यटन के बारे में सुना था और इस बार वे अपने बच्‍चों को गांव की सैर कराना चाहता था। जब बच्‍चों को इस बारे में पता चला तो वे यह सुनकर पहले तो काफी निराश हुए। लेकिन जैसे ही उन्‍होंने गांव में कदम रखा तो उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगा। उन‍के लिए यह एक अलग अनुभव था। वहां बच्‍चे कभी चीकू तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ रहे थे या बैलगाड़ी या ट्रेक्‍टर की सवारी का आनंद ले रहे थे या कुएं पर पानी के साथ खेल रहे थे। विवेक ने कहा कि उसने अपने बच्‍चों को इतना खुश पहले कभी नहीं देखा था । उसने कहा कि रात में स्‍थानीय नृत्‍य और संगीत आयोजित हुआ जिसे उसके परिवार को शहर में पहले कभी देखने का मौका नहीं मिला था।
  बड़ी-बड़ी इमारतों और दौड़ –भाग भरी जिंदगी में लोग इस शोर से थोड़ा दूर आना चाहते हैं और चैन की सांस लेना चाहते हैं। ग्रामीण पर्यटन का विचार 2002 में राष्‍ट्रीय पर्यटन नीति में परिकल्पित किया गया था। इसे गांव की जिंदगी, कला, संस्‍कृति, विरासत प्रदर्शित के रूप में परिभाषित किया गया था, जिससे स्‍थानीय समुदाय को आर्थिक और सामाजिक  रूप से फायदा हो। साथ ही पर्यटकों और स्‍थानीय लोगों के बीच संवाद भी हो ।
ग्रामीण पर्यटन योजना
 ग्रामीण पर्यटन योजना विशेष रूप से गांवों में ढांचागत सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए बनाई गई थी जिससे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। बाद में प्रायोगिक आधार पर संयुक्‍त राष्‍ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ मिलकर इंडोजिनस टूरिज़म प्रोजेक्‍ट (ईटीपी) को इसके साथ जोड़ा गया। इस परियोजना का उद्देश्‍य भी टिकाऊ आजीविका, पुरूष और महिला में समानता, महिलाओं, युवा और समुदाय के अन्‍य वंचित वर्गों का सशक्तिकरण और सांस्‍कृतिक संवेदनशीलता तथा पर्यावरणीय स्थिरता पर कार्य करने जैसे मुद्दों पर ध्‍यान देना है।
पर्यटन मंत्रालय की क्षमता निर्माण योजना के तहत क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए 2006 से वित्‍तीय सहायता भी दी जा रही है।
 पंडुरंगा ग्रामीण पर्यटन का हिस्‍सा हैं। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र में ग्रामीण पर्यटन की 2004 में बारामती जिले में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरूआत हुई थी। यहां 65 एकड़ के क्षेत्र में बागबानी होती है। उन्‍होंने कहा कि जब शहर से लोग घूमने आते हैं तो रेशम प्रसंस्‍करण इकाइयों, दूध की डेयरी और फलों के बाग भी देखते हैं। ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्‍साहित करने का एक उद्देश्‍य यह भी था कि गांव के लोगों का शहरों में पलायन रोका जा सके। 2004 से महाराष्‍ट्र में ग्रामीण और कृषि पर्यटन के 200 से अधिक केंद्र विकसित हुए हैं और एक लाख से ज्‍यादा पर्यटक यहां घूमने आए हैं। इसके अतिरिक्‍त किसान, गांव के बेरोज़गार युवक भी ग्रामीण पर्यटन की गतिविधियों से जुड़ गए हैं।
राजस्थान एक अन्य राज्य है जहां ग्रामीण पर्यटन पिछले कुछ समय में तेजी से विकसित हुआ है। राजस्थान न केवल अपने ऐतिहासिक स्मारकों और धर्मस्थलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपने शिल्प, नृत्य और संगीत जैसी ललित कलाओं की समृद्धि संस्कृति के लिए भी मशहूर है। मुरारका फाउंडेशन के विजयदीप सिंह के अनुसार उन्होंने न केवल भारतीय पर्यटकों बल्कि अमरीका, फ्रांस, इंग्लैंड और यहां तक कि स्विट्जरलैंड के पर्यटकों के लिए अनेक पैकेज तैयार किए हैं। उन्होंने बताया कि कई पर्यटक स्थानीय जीवन, खानपान और संस्कृति का सीधे तौर पर आनंद लेने के लिए गांव वालों के साथ उनके घर पर ही रुकना चाहते हैं। इस तरह के पैकेज के अंतर्गत पर्यटकों से एक दिन के लिए 1200 रुपए लिए जाते हैं, जिसमें से 850 रुपए किसानों के परिवारों को दे दिए जाते हैं। पर्यटकों के लिए यह कोई महंगा शौक नहीं है और किसान को भी इससे अतिरिक्त आमदनी हो जाती है।
पंजाब में कृषि पर्यटन लोकप्रिय हो चुका है। कोई भी व्यक्ति पीली सरसों के खेतों में घूमफिर सकता है, ट्रैक्टर पर घूम सकता है, मवेशियों को चराने के लिए ले जा सकता है या उन्हें खाना खिला सकता है, हरे भरे खेतों में मक्के की रोटी और साग के साथ छांछ का लुत्फ उठा सकता है, लोकनृत्य भांगड़ा का मजा लेने के साथ स्थानीय शिल्प फुलकारी बनते हुए देखने के अलावा ग्रामीण समुदाय और पंचायत से मिल सकता है। पर्यटक कुश्ती, गिल्ली-डंडा, पतंगबाजी जैसे स्थानीय खेलों में भाग ले सकते हैं या उन्हें देख सकते हैं। बच्चे घास पर उछलकूद करने के साथ-साथ ट्यूबल में नहा सकते हैं।
अनेक अन्य राज्य भी ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
12वीं योजना में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति
12वीं योजना के लिए पर्यटन के बारे में कार्यदल का मानना है कि अनेक कारणों से ग्रामीण पर्यटन से जुड़ी परियोजनाओं के सीमित सफलता मिली है। इस कार्यदल ने एक योजना का सुझाव दिया है जिसके अंतर्गत ग्रामीण पर्यटन की पूरी संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।

ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने की रणनीति एक गांव को विकसित करने की बजाय गांवों के समूहों को अलग-अलग चरणों में विकसित करने पर केंद्रित है।

इसमें कहा गया है कि भौगोलिक दृष्टि से आसपास मौजूद गांवों के समूहों में पर्यटन सुविधाओं या अवसरों पर विशेष ध्यान देने से पर्यटकों को बेहतर तरीके से आकर्षित किया जा सकता है।

शिल्प बाजार या हाट लगाकर स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग की जा सकती है। टूर ऑपरेटर ऐसे सस्ते और व्यावहारिक यात्रा पर बड़ी संख्या में पर्यटन के इलाकों में ले जा सकते हैं जहां उनके लिए जीवन शैली, स्थानीय कला और शिल्पियों/कलाकारों और ललित कला सहित विविधता से भरे शॉपिंग के अवसर उपलब्ध हों।  (PIB)  22-नवंबर-2012 12:34 IST                                     (पीआईबी फीचर)

*लेखिका स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।

इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं है कि पत्र सूचना कार्यालय उनसे सहमत हो।

मीणा/कविता/प्रियंका/अर्जुन- 287

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