शुक्रवार, सितंबर 09, 2011

अमृतसर में फूंका गया हूजी का पुतला


अमृतसर से गजिंदर सिंह किंग 
दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर हुए बम धमाके और उसके बाद मिली नयी धमकी ने आम जनता के आक्रोश को और बढ़ा दिया है. लोग आतंकवाद और उनके समर्थकों के खिलाफ अब खुल कर अपना रोष व्यक्त करने लगे हैं. लगता है कि जल्द ही यह आक्रोश किसी नए अभियान का रूप लेने वाला है. अमृतसर में आज विजय चौक पर आतकवाद विरोधी फ्रंट पंजाब के कार्यकर्ताओ ने एक ज़ोरदार प्रदर्शन किया. दिल्ली हाईकोर्ट परिसर में हुए बम धमाके के विरोध में अफजल गुरु के समर्थक एवं हूजी का पुतला जला कर लोगों ने खुल कर अपना रोष व्यक्त किया. और पकिस्तान के विरुद्ध नारेबाजी करके अपना रोष प्रदर्शन किया. ज़बरदस्त नारेबाजी करते हुए इन लोगों ने संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु को जल्द से जल्द फांसी देने की अपील की.   
आतकवाद विरोधी फ्रंट पंजाब के कार्यकर्ताओ ने अपने वरिष्ठ उप प्रधान महिंदर सिंह सिद्धू के नेतुर्त्व में इस मुद्दे को लेकर स्पष्ट कहा कि वे हर हाल में शांति चाहते हैं. इस को लेकर वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे.   सिद्धू ने इस रोष प्रदर्शन के मकसद की जानकारी देते हुए बताया, कि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु को केंद्र सरकार की ओर से फांसी देने में हो रही देरी के कारण ही यह हमला हुआ है और इस तरह के और हमले होते रहेगे, उन्होंने  केंद्र सरकार से अपील की कि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु को जल्द से जल्द फांसी दे देनी चाहिए तन की आम निर्दोष लोगों की जान से खेलने वालों को कुछ सबक मिल सके.    

सोमवार, अगस्त 29, 2011

अमृतसर में रोका गया नशे के तूफ़ान का एक और हमला


पंजाब स्टेट स्पेशल सेल ने पकड़ी 60  करोड की हेरोइन
अमृतसर से गजिंदर सिंह किंग    
पंजाब के स्टेट स्पेशल सेल को उस समय बड़ी सफलता मिली जब उस ने पकिस्तान से आई नशे की एक बड़ी खेप को पकड़ने में सफलता हासिल की, उसके साथ ही स्पेशल सेल ने तीन तस्करों को भी गिरफ्तार करे 12  किलो हेरोइन बरामद की गयी है, जिस की अंतर राष्ट्रीय बाज़ार में कीमत 60  करोड रूपए है
      पंजाब के स्टेट स्पेशल सेल पुलिस ने एक सफ़ेद आल्टो कार समेत दो दोषी महिंदर सिंह और राकेश कुमार को गिरफ्तार किया और उन से 8  किलो हेरोइन बरामद की गयी, यह दोनों आपराधी इस नशे की खेप को तीसरे अपराधी लखविंदर सिंह के साथ मिल कर किसी को देने जा रहे थे, तभी पुलिस ने तीसरे अपराधी लखविंदर को गिरफ्तार कर किया, जिसके पास से 4  किलो हेरोइन बरामद की,   स्टेट स्पेशल सेल पुलिस के गिरफ्त में आये यह वह शातिर है, जो देश की जड़ों को खोखला कर रहे है दरअसल यह वह अपराधी है, जो पकिस्तान से नशे की खेप  को ला कर देश के अलग अलग हिस्सों में भेजते थे, पुलिस को एक गुप्त सूचना के मिली थी, कि पकिस्तान से नशे की बड़ी खेप भारत में आयी है.  
स्टेट स्पेशल सेल पुलिस ने नाके दौरान इन तीनो को गिरफ्तार कर 12 किलो हेरोइन बरामद की है,  दरअसल इन तीनो गुनेह्गारों का जुर्म की दुनिया से कोई रास्ता नया नहीं है, इस गिरोह का मुख्य मास्टर माइंड  लखविंदर सिंह पहले भी हेरोइन  की तस्करी में सजा काट चुका है, इस से पहले डी,आर,आई विभार ने लखविंदर सिंह को  3  किलो हेरोइन के साथ  गिरफ्तार किया था, जिस में वह 8  साल की सजा काट चुका है, उस के बाद जब स्टेट स्पेशल ओपरेशन सेल ने 2010  में 28  किलो हेरोइन के साथ राजिंदर सिंह को गिरफ्तार किया तब भी वह इस नशे की खेप में शामिल था, यह ही नहीं  इस गिरोह का दूसरा सदस्य मोहिंदर सिंह को जम्मू पुलिस ने 4  किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया, साथ ही उस के बाद इस के बाद 1997  में कस्टम विभाग ने जब 50  किलो हेरोइन पकड़ी उस में भी इस का नाम आया था, वहीँ इस गिरोह का तीसरा  सदस्य राकेश कुमार पर भी जाली करंसी का मामला दर्ज है, जो कि जेल से परोल पर आया था और उस के बाद फरार था, यह जानकारी  पंजाब के स्टेट स्पेशल सेल के ऐ, आई, जी   डाक्टर कौस्तुब शर्मा ने प्रेस दौरान दी और उन्होंने  इन तीनों आपराधियों बारे जानकारी देते हुए बताया, कि इन तीनों आपराधियों का सम्बन्ध पकिस्तान से है और यह लोग पकिस्तान से नशे की तस्करी करते थे और साथ ही यह तीन लोग इस स्मगलिंग के धंधे के सब से पुराने खिलाड़ी है, वहीँ उन्होंने कहा, कि  इन के पकडे जाने से पकिस्तान के साथ तस्करी के सम्बन्धों पर कई बड़े खुलासे हो सकते है
फिलहाल पुलिस ने चाहे इन तीन अपराधियों को 60  करोड की हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया है, लेकिन इन के पकडे जाने से यह बात तो साफ़ है, कि कहीं न कही देश की सरहद पर कोई ऐसी सेंध है, जिस के कारण यह आरोपी पकिस्तान से हेरोइन भारत में लाते है, वहीँ पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है, कि नशे की यह खेप देश के किस हिस्से में देने जा रहे थे. 

रविवार, अगस्त 28, 2011

महिला खिलाडियों को क्रिकेट प्रशिक्षण


  साउथ अफ्रीका से बुलाए गए कोच 
     अमृतसर से गजिंदर सिंह किंग:    
देश में महिला क्रिकेट को बढाने के लिए कई प्रयास किये जाते है, लेकिन आज भी महिला क्रिकेट टीम उस स्तर तक नहीं पहुँच सकी, लेकिन अब इस क्रिकेट के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए अमृतसर क्रिकेट प्रशासन ने एक विशेष रास्ता अख्तियार किया है, जिस के चलते अब अमृतसर की महिला खिलाडियों को प्रशिक्षण देने के लिए साउथ अफ्रीका से कोच बुलाए गए है, जिस से की माहिला क्रिकेट को बढावा मिल सके.
 भारत की स्टार महिला क्रिकेटर अंजुमन चोपड़ा देश के लिए कई बार इन्होने देश का नाम माहिला क्रिकेट में रोशन किया है, लेकिन अब वह एक संस्था वोमेन क्रिकेट वर्ल्ड के सहयोग से अमृतसर में महिलाओं के लिए एक विशेष उपहार ले कर आयी है, जिस के तहत लेवल तीन की एक विशेष कोच को साउथ अफ्रीका से बुलाया गया है, जिस से महिला क्रिकेट को एक नई दिशा मिलेगी, उन का कहना है, कि आज देश में महिला क्रिकेट के अंतर राष्ट्रीय मैच बहुत कम होते है, जिस कारण महिला क्रिकेट को वह मुकाम हासिल नहीं हो सका, जिस कारण खिलाडियों में प्रतिभा कम होती है, वहीँ आज इस के तहत साउथ अफ्रीका से एक विशेष महिला कोच को यहाँ लाया गया है, जो कि अमृतसर क्रिकेट एसोसीएशन के साथ मिल कर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा रही है, साथ ही उन का कहना है, कि जिस के तहत अंतर राष्ट्रीय कोच इन को प्रशिक्षण देगा, वहीँ उन का कहना है, कि वह भी एक खिलाडी है और वह जानती है, कि कोचिंग की एक खिलाड़ी के लिए क्या महत्वता होती है, वहीँ उन का कहना है, कि क्रिकेट जितनी ज्यादा खेली जाए गी उतनी अच्छी है, जिस के चलते ज्यादा से ज्यादा मैच करवाए जाये, ताकि क्रिकेट को बढावा मिल सके और महिला क्रिकेट भी आगे बढ़ कर खेल सके. 
वहीँ दूसरी और इस पूरे मामले में विदेशी कोच मार्च्लीस का कहना है, कि भारत में क्रिकेट को लोग पसंद करते है और भारत के मुकाबले साउथ अफ्रीका के पास अंतर राष्ट्रीय तजुर्बा नहीं है, लेकिन भारत में महिला क्रिकेट का अंतर राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके है, लेकिन उन को प्रशिक्षण की जरुरत है, जिस के चलते वह यहाँ पर है, साथ ही उन का कहना है, कि साउथ अफ्रीका में क्रिकेट का एक अच्छा स्तर है और वह उस अच्छे स्तर को यहाँ की महिला खिलाडियों को देंगे, जिस से कि उन के खेल में निखार आएगा, क्यों कि यहाँ की महिला खिलाडियों का मैदान में खेल अच्छा नहीं है और वह प्रयास करेंगी, कि इस खेल के स्तर को बढावा जाये
    वहीँ दूसरी ओर इस के आयोजकों का कहना है, कि महिला क्रिकेट को आगे बढाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है, जिस के चलते इस महिला कोच को यहाँ बुलाया गया है, साथ ही उन का कहना है, कि इस के तहत यह हम से कोई पैसा नहीं लेंगे और यह एक संस्था है, साथ ही यह कोच इन को प्रशिक्षण देगी, साथ ही उन का कहना है, कि आने वाले समय में ट्वंटी ट्वंटी टूर्नामेंट करवाया जाएगा, जिस में विदेशी खिलाडियों को यहाँ पर बुलाया जायेगा, जिस से कि महिला क्रिकेट को एक बढावा मिलेगा और वह आपनी तरफ से उन की पूरी सहायता करेंगे, जिस के चलते यह दस दिन यहाँ पर अभ्यास करवाएंगी, साथ ही उन का कहना है, कि साउथ अफ्रीका के खिलाडियों का शरीरिक और मानसिक स्तर यहाँ से ऊँचा है, जिस के तहत यहाँ यह प्रयास किया गया है, जिस से दोनों देशों को फायदा मिलेगा
    फिलहाल अब देखना यह होगा, कि यह विदेशी महिला कोच भारत की इन महिला खिलाडियों को आपना प्रशिक्षण किस तरह से देती है, जिस से कि महिला क्रिकेट का नाम भी पुरुष टीम की तरह पूरी दुनिया में ऊचा हो सके, क्या यह विदेशी कोच भारत की टीम को एक नई दिशा दिखा पायेगी. 

बुधवार, जुलाई 13, 2011

सिख संगत की तरफ से लुधियाना में इंसाफ मार्च 15 जलाई को

प्रोफेसर भुल्लर को फांसी की सजा रद्द करने की मांग ने पकड़ा जोर  
लुधियाना : विभिन्न मामलों में सिख कौम के साथ की जा रही ना-इंसाफी के विरोध में समूह सिख संगत की तरफ से इंसाफ़ मार्च 15 जुलाई 2011 को निकाला जायेगा। यह मार्च माडल टाउन लुधियाना स्थित गुरुद्वारा शहीदा नज़दीक गुज्जरखान कैंपस से प्रात:काल 10 बजे आंरभ हो कर शहर के अलग अलग हिस्सों से होता हुआ डी सी कार्यलय में पहुँचेगा। और डी सी को मााग पत्र देने के उपरांत संपन्न होगा। उक्त जानकारी पंथक नेता मनविन्दर सिंह ग्यासपुरा,बलविन्द्र सिंह भुल्लर,गुरदीप सिंह गोशा, बलजीत सिंह शिमलापुरी और जरनैल सिंह ने मल्हार रोड पर एक होटल में आयोजित पत्रकार सम्मेलन दौरान दी। पत्रकारों को संबोधन करते हुए युवा नेता गुरदीप सिंह गोशा और मनविन्दर सिंह ग्यासपुरा ने इंसाफ़ मार्च के मकसद बारे बताया कि इस मार्च के माध्यम से सिख संगत को कौम के साथ की जा रही ना -इंसाफी के प्रति जागरूक करने साथ साथ सरकार और एस जी पी पी और काबिज़ पक्ष को कुंभकरनी नींद से जगाने के यत्न करेंगे। सिखों के साथ की जा रही ना-इंसाफी की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बिना किसी कसूर के उम्र कैद से अधिक सजा भुगत चुके प्रो. दविन्दर पाल सिंह भुल्लर की फांसी का सजा को बिना समय गवाए उम्रकैद में बदलने और पिछले कई सालों से देश की अलग अलग जेलों में बंद बे कसूर सिख नौजवानों को रिहा करवाने के लिए इंसाफ़ मार्च के द्वारा मांग की जाएगी। बलजीत सिंह शिमलापुरी और जरनैल सिंह ने पंजाब के अलग अलग हिस्सों में कई महीनों से सिख विरोधी ताकतों के इशारे और शरारती तत्वों की तरफ से श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के पवित्र पवित्र स्वरूप अग्नि भेंट किये जाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं की जांच करने की बजाय सतासीन लोगो  की तरफ से इन घटनाओ को शार्ट सर्कट बता कर मामला बंद कर दिया जाता है। क्या यह ना-इंसाफी और झूठ नहीं। बलविन्दर सिंह भुल्लर  ने जागत ज्योति श्री गुरु ग्रंथ साहब सत्कार एक्ट 2008 का उल्ंलघन करके सुनहरी अक्षरों वाले श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के स्वरूप छापने के मामलो का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून की उल्लंघना करने  वाले निजी प्रकाशक,छपाई करवाने और छपाई की इजाज़त देने वालों के विरुद्ध कार्यवाही ना होना ना-इंसाफी नहीं तो ओर क्या है। युवा नेताओं ने सिख संगत को खुला न्योता दिया कि वह पार्टी बाज़ी से ऊपर उठ कर सिख कौम के साथ की जा रही ना-इंसाफी के विरोध में आवाज़ बुंलद करने के उद्देश्य के साथ आयोजित किये जा रहे ना-इंसाफ़ मार्च को सफल करे। इस मौके पर अवतार सिंह दुबई,चरनजीत सिंह (चन्नी फैबरिकस) मनजिन्दर सिंह काला,कमलजीत सिंह,बलजीत सिंह,प्रितपाल सिंह जमालपुर,चरनप्रीत सिंह मिक्की,परमजीत सिंह पम्माा भी उपस्थित थे।

बुधवार, जून 29, 2011

विशेष लेख//अंतरराष्‍ट्रीय मादक द्रव्‍य दुरूपयोग दिवस//PIB

28-जून-2011 19:20 IST
अंतरराष्‍ट्रीय मादक द्रव्‍य दुरूपयोग दिवस 
रोकथाम नीति से नशीले पदार्थों की मांग में कमी
नई दिल्ली: 28 जून 2020: (पीआईबी)::
पिछले कुछ वर्षों में मादक पदार्थों की लत चिंता का विषय बन गई है, क्‍योंकि परम्‍परागत बंधन, प्रभावकारी सामाजिक रोक, आत्‍मसंयम के महत्‍व पर जोर और व्‍यापक नियंत्रण तथा संयुक्‍त परिवार और समुदाय का अनुशासन खत्‍म हो रहा है।
    औद्योगीकरण, शहरीकरण और पलायन के कारण सामाजिक नियंत्रण के परम्‍परागत तरीके कमजोर पड़ रहे हैं जिससे आधुनिक जीवन शैली के दबाव में अकेला व्‍यक्ति आसानी से तनाव का शिकार हो रहा है। अन्‍य बातों के अलावा तेजी से बदलते सामाजिक माहौल के कारण मादक पदार्थों का प्रसार बढ़ रहा है।
   सिंथेटिक मादक पदार्थों और इंजेक्‍शन के जरिये लिए जाने वाले मादक पदार्थों के इस्‍तेमाल के कारण एचआईवी/एडस जैसी बीमारियां हो रही हैं जिससे समस्‍या एक नया रूप ले रही है।
भारत का परिदृश्‍य
शराब को छोड़कर हमारी कुल आबादी के करीब 0.3 प्रतिशत लोग विभिन्‍न प्रकार के मादक पदार्थों के इस्‍तेमाल का शिकार है। ऐसी आबादी विभिन्‍न आर्थिक, सांस्‍कृतिक, धार्मिक और भाषायी पृष्‍ठभूमि से आती है। भारत में शराब, अफीम और भांग का दुरूपयोग किसी से छिपा नहीं है।
    दवाओं के लिए जरूरी अफीम की विधिसम्‍मत मांग को पूरा करने के लिए भारत सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसके अलावा भारत दुनिया के पोस्‍त उगाने वाले प्रमुख इलाकों के नजदीक स्थित है। इनमें पश्चिमोत्‍तर पर ‘गोल्‍डन क्रेसेंट और पूर्वोत्‍तर में ‘गोल्‍डन ट्रायंगल है। इनकी वजह से भारत मादक पदार्थों के इस्‍तेमाल खासतौर से पोस्‍त उत्‍पादन के इलाकों और तस्‍करी के मार्गों पर असुरक्षित हो गया है।
कल्‍याणकारी प्रस्‍ताव
  हाल के वर्षों में मादक पदार्थों के इस्‍तेमाल को मनोवैज्ञानिक-सामाजिक चिकित्‍सा समस्‍या के रूप में स्‍वीकार कर लिया गया है। समुदाय आधारित हस्‍तक्षेप के जरिये इस समस्‍या से सर्वश्रेष्‍ठ तरीके से निपटा जा सकता है। मांग में कमी मादक पदार्थों के नियंत्रण की रणनीति के स्‍तंभ के रूप में उभरी है।
उपर्युक्‍त प्रस्‍ताव को ध्‍यान में रखते हुए, मांग कम करने के लिए सरकार के पास त्रिस्‍तरीय रणनीति है:
     * मादक पदार्थों से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना और उन्‍हें शिक्षित करना
* जिन लोगों को इसकी लत पड़ गई है उनकी प्रेरणादायक काउंसलिंग कराना, इलाज और ठीक हो चुके लोगों की जांच करना और उनका सामाजिक पुर्नएकीकरण।
     * मादक पदार्थों की रोकथाम/पुनर्वास के बारे में स्‍वयंसेवियों को प्रशिक्षण देना, ताकि सेवा प्रदाताओं का एक शिक्षित कैडर तैयार किया जा सके।
इस पूरी रणनीति का उददेश्‍य मादक पदार्थों की समस्‍या से लड़ने के लिए समाज और समुदाय को शक्तिशाली बनाना है।
मादक पदार्थों की लत के शिकार लोगों का इलाज और पुनर्वास
   देश में मादक पदार्थों की मांग में कमी के कार्यक्रम का केन्‍द्र बिन्‍दु, सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 1985-86 से मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए योजना को लागू कर रखा है। चूंकि मादक पदार्थों की लत छुड़ाने और उनके पुनर्वास के लिए ऐसे स्‍थायी और प्रतिबद्ध प्रयासों की जरूरत है जिनमें लचीलापन और नवीनता हो। इस समस्‍या के उपचार के लिए सरकार-समुदाय (स्‍वयंसेवी) की सहभागिता एक मजबूत व्‍यवस्‍था दिखाई पड़ती है। इसी के अनुसार इस योजना में, उपचार में अधिकतर खर्च सरकार उठाती है, स्‍वयंसेवी संगठन काउंसलिंग और जागरूकता केन्‍द्रों:- लत छुड़ाने वाले और पुनर्वास केन्‍द्र, लत छुड़ाने वाले शिविर और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिये सेवा प्रदान करते हैं।
इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय देशभर में  मादक पदार्थों की लत छुड़ाने वाले 376 पुनर्वास केन्‍द्रों के रखरखाव के लिए 361 स्‍वयंसेवी संगठनों और 68 काउंसलिंग और जागरूकता केन्‍द्रों को सहायता दे रहा है। सभी केन्‍द्रों में चिकित्‍सक, काउंसलर(परामर्शदाता), समुदाय कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता जैसे विशेषज्ञ मौजूद हैं। अलग-अलग लोगों की जरूरत के हिसाब से इनका इस्‍तेमाल किया जाता है।
जिन लोगों में मादक पदार्थों की बहुत बुरी लत है और जिन्‍हें लम्‍बे इलाज की जरूरत है, उनके इलाज के लिए, 100 लत छुड़ाने वाले केन्‍द्र सरकारी अस्‍पतालों/प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों में चलाए जा रहे हैं।
जागरूकता और इलाज संबंधी शिक्षा
काउंसलिंग और जागरूकता केन्‍द्र ग्राम पंचायतों और स्‍कूलों में जागरूकता पैदा करने वाले विभिन्‍न कार्यक्रमों से जुड़े हुए हैं। इन केन्‍द्रों के अलावा मंत्रालय प्रिंट मीडिया, रेडियो और टेलीविजन के जरिये लोगों को मादक पदार्थों के दुष्‍प्रभावों और इसके उपचार के बारे में जानकारी दे रहा है।
प्रशिक्षण और मानव शक्ति का विकास
सरकार ने राष्‍ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्‍थान, नई दिल्‍ली के तत्‍वावधान में मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए एक राष्‍ट्रीय केन्‍द्र स्‍थापित किया है। प्रशिक्षण, अनुसंधान और लिखित प्रमाण के लिए यह केन्‍द्र सर्वोच्‍च संस्‍थान के रूप में काम करेगा।
   पुनर्वास करने वाले पेशेवरों की देश में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, केन्‍द्र नशे की लत छुड़ाने, काउंसलिंग और पुनर्वास के लिए देश भर में तीन महीने का प्रमाणपत्र पाठयक्रम चला रहा है। राज्‍य सरकार के संस्‍थानों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से केन्‍द्र सरकार संवेदीकरण,जागरूकता पैदा करने और प्रशिक्षण के लिए देश भर में सेमिनार, सम्‍मेलन और प्रशिक्ष्‍ाण पाठयक्रम आयोजित कर रही है।
विभिन्‍न क्षेत्रों में सहयोग
शराब और नशे की समस्‍या एक सामाजिक रूग्‍णता है और इसे सभी मानवीय क्रियाकलापों पर ध्‍यान देकर समग्र रूप से निपटा जा सकता है। सरकार ने सभी सम्‍बद्ध मंत्रालयों और विभागों को शामिल करके समेकित रवैया अपनाया है। सरकार ने जो पहल की है, उनमें मादक पदार्थों के बारे में शिक्षा और स्‍कूली पाठ्यक्रम में बदलाव के जरिये युवकों को जानकारी देना शामिल है। गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी के जरिये अध्‍यापकों, माता-पिता और स्‍कूल के माहौल में सहपाठियों को संवेदनशील बनाने के लिए कार्यक्रम विकसित किया गया है। शराब/मादक पदार्थों के दुष्‍प्रभावों के बारे में जानकारी देने के लिए मीडिया और विभिन्‍न युवा संगठनों का सहयोग भी मांगा गया है।
   सरकार के पास उपलब्‍ध बुनियादी ढांचे और सेवाओं को एनजीओ क्षेत्र द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से जोड़ दिया गया है, ताकि इससे जुड़ी स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी परेशानियों जैसे टीबी, एचआईवी/एड्स, हेपिटाइटस आदि से निपटा जा सके। शराब और नशा करने वालों के पुनर्वास और देखभाल के बारे में जानकारी के साथ चिकित्‍सा क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों की व्‍यवस्‍था करने के प्रयास किए गए हैं। इसके साथ ही चिकित्‍सा के क्षेत्र मे सहयोग के लिए एनजीओ पेशेवरों को भी प्रशिक्षण देने की पहल की गई है। विभिन्‍न क्षेत्रों में सहयोग की दिशा में एक सफल पहल में एचआर्इवी/एडस रोकथाम कार्यक्रम को 100 एनजीओ के नशामुक्ति केन्‍द्रों में चल रहे कार्यक्रम से जोड़ना शामिल है, जिसे सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से चलाया जा रहा है।
अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग
    सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन और यूएनओडीसी के सहयोग से ‘सामुदायिक मादक पदार्थ पुनर्वास और कार्यस्‍थल रोकथाम विकास योजना’ लागू की है। यह देखा गया कि किसी भी व्‍यक्ति के कार्य स्‍थल का माहौल निवारक का काम कर सकता है बशर्ते उसे आर्थिक सुरक्षा मिलती रहे। नौकरी चले जाने से नशे की लत बढ़ जाती है। वर्तमान कार्यक्रम में इस पहलू पर बहुत अधिक ध्‍यान नहीं दिया गया। योजना के अंतर्गत किये गए गंभीर प्रयासों के साथ अनेक कॉर्पोरेट संस्‍‍‍थानों ने इस परियोजना में शामिल होने की इच्‍छा प्रकट की।
इसके बाद यूएनओडीसी और आईएलओ के सहयोग से दो समुदाय आधारित हस्‍तक्षेप किये गए:
1 भारत में समुदाय के बीच मांग में कमी
2 भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के समुदाय के बीच मांग में कमी
पूर्वोत्‍तर की परियोजना को स्‍थानीय रीति-रिवाजों, सांस्‍कृतिक परम्‍पराओं, सामुदायिक जुड़ाव और ढांचागत कमी को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है। योजना ने इन राज्‍यों के समुदाय के विकास के लिए व्‍यापक रवैया अपनाया है।
    इस प्रकार, मादक पदार्थों की मांग में कमी रोकथाम नीति के रूप में गुणवत्‍ता और न्‍यूनतम मानकों, पेशेवर मानव शक्ति के विकास, सेवा प्रदाताओं की नेटवर्किंग, विभिन्‍न क्षेत्रों के एक तरफ झुकाव आदि के संबंध में सफल रही है। जिन अन्‍य क्षेत्रों को मजबूत किये जाने की जरूरत है वे हैं
* सूचना जोड़ने के साधन
* बेहतर और व्‍यक्तिगत आधार वाली सामग्री प्रबंधन
* देसी दवाओं और उपचारात्‍मक तरीकों के इस्‍तेमाल के बारे में अनुसंधान
*त्‍वरित जागरूकता अभियान
हांलाकि हमारे समाज में मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए चौतरफा उपाय किये गए हैं, लेकिन संतोष करने के लिए अभी लंबा सफर बाकी है। मादक पदार्थों की तस्‍करी और नशे पर रोक लगाने के लिए इस काम में लगी एजेंसियों को सहयोग देने के लिए संवेदनशीलता और जागरूकता ही समाज को मजबूत बनाने का एकमात्र समाधान है। (पसूका--पत्र सूचना कार्यालय)
** सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय से प्राप्‍त जानकारी
विनोद/कविता-76  

शुक्रवार, अप्रैल 01, 2011

जिंदगी क्या इसी को कहते हैं, जिस्म तन्हां है और जां तन्हां !

माहज़बीं बानो से मीना कुमारी तक का सफ़र केवल 39-40 बरस का ही था. छोटी सी ज़िन्दगी और वह भी गमसे भरी हुयी. मना कुमारी ने इस गम को गले कगाया और लोगों को शायरी की वह सौगात दी कि 39 बरस सात महीनों की वह छोटी सी ज़िन्दगी सदियों पर भारी हो गयी. बहुत से लोग आते हैं...लम्बी उम्र तक जीते भी हैं....बहुत कुछ करते भी हैं..पर वे कब रुखसत होते हैं कुछ पता नहीं चलता. उनके जाने के बाद भी कभी उनकी कोई चर्चा नहीं होती लेकिन मीना कुमारी को भूलना अगर नामुमकिन नहीं तो मुश्किल ज़रूर है. वह जिंदगी के हर सुख दुःख में याद आती है. जब वह कहती है हम सफ़र कोई गर मिले भी कहीं... दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा...कल उसकी बरसी थी. साँसों का जो सिलसिला एक अगस्त 1932 को शुरू हुआ था वह 31 मार्च 1972 को थ गया बिलकुल ऐसे जैसे कोई गुज़र चूका वित्तीय वर्ष रुक जाता है अपने तमाम पुराने कारोबारी हिसाबों के साथ. आओ आज उसकी यादों का एक नया पन्ना उलटते हैं किसी नए साल की तरह. 

चाँद तन्हा है,आस्मां तन्हा
दिल मिला है कहाँ -कहाँ तन्हां

बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हां

जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हां है और जां तन्हां

हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे यहाँ तन्हां

जलती -बुझती -सी रौशनी के परे
सिमटा -सिमटा -सा एक मकां तन्हां

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये मकां तन्हा

आप इए उसकी आवाज़ में भी अवश्य सुनिए और महसूस कीजिये उसके दिल का दर्द... ;


उसकी एक और ग़ज़ल लोकप्रिय हुयी थी जिसके बोल थे टुकड़े टुकड़े दिन बीता  और धज्जी धज्जी रात मिली :

टुकडे -टुकडे दिन बीता, धज्जी -धज्जी रात मिली
जितना -जितना आँचल था, उतनी हीं सौगात मिली

जब चाह दिल को समझे, हंसने की आवाज़ सुनी
जैसा कोई कहता हो, ले फ़िर तुझको मात मिली

होंठों तक आते -आते, जाने कितने रूप भरे
जलती -बुझती आंखों में, सदा-सी जो बात मिली

इस ग़ज़ल को भी आप सुन सकते हैं उसकी आवाज़ में........:
आज भी मीना कुमारी की फिल्में बहुत कुछ कहती हैं. आप देखना चाहें तो प्रस्तुत है उन फिल्मों की एक लिस्ट:

जिसे विकिपीडिया के साभार यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है. 

मीना की प्रमुख फिल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
1971पाकीज़ानर्गिस/साहिबज़ान
1971दुश्मनमाल्ती बड़जात्या दीन
1971मेरे अपनेaanandi devi
1970जवाबविद्या
1967मझली दीदी
1967नूरजहाँ
1967चन्दन का पालनाशोभा राय
1967बहू बेगमzeenat
1966फूल और पत्थरशांति देवी
1965काजलमाधवी
1965भीगी रात
1964गज़ल
1964बेनज़ीरबेनज़ीर
1964चित्रलेखाचित्रलेखा
1963दिल एक मन्दिरसीता
1963अकेली मत जाइयो
1963किनारे किनारे
1962साहिब बीबी और ग़ुलाम
1962मैं चुप रहूँगीगायत्री
1962आरतीआरती गुप्ता
1961प्यार का सागर
1961भाभी की चूड़ियाँ
1960कोहिनूर
1960दिल अपना और प्रीत पराईकरुणा
1959अर्द्धांगिनीछाया
1959चार दिल चार राहें
1958सहारालीला
1958फ़रिश्ता
1958यहूदी
1958सवेरा
1957मिस मैरी
1957शारदाशारदा
1956मेम साहिबमीना
1956एक ही रास्तामाल्ती
1956शतरंज
1955आज़ादशोभा
1955बंदिशऊषा सेन
1954बादबाँ
1953परिनीताललिता
1952बैजू बावरागौरी
1952तमाशाकिरन
1951सनम
1946दुनिया एक सराय